Diwali 2020 Laxmi Puja : दीपों का त्योहार दिवाली कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है. इस बार दिवाली 14 नवंबर को मनाया जाएगा. दिवाली से पहले ही बाजारों में रौनक दिख रही है. आज से ही लोगों ने दिवाली की खरीदारी शुरू कर दी है.
दीपावली पर मां लक्ष्मी और श्री गणेशजी की पूजा की जाती है. मां लक्ष्मी और श्री गणेशजी की पूजन से घर में शांति, तरक्की और समृद्धि का वरदान प्राप्त होता है.
दिवाली पर हर व्यक्ति माता लक्ष्मी और भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए पूरे विधि-विधान से पूजा करते है. दिवाली का त्योहार हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है. आइए जानते हैं पूजा के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि व सामग्री के बारे में...
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Happy Diwali 2020 |
दिवाली पूजा की सामग्री Diwali Pujan Samagri
मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा, रोली, कुमुकम, अक्षत (चावल), पान, सुपारी, नारियल, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, अगरबत्तियां, मिट्टी, दीपक, रूई, कलावा, शहद, दही, गंगाजल, गुड़, धनिया, फल, फूल, जौ, गेहूं, दूर्वा, चंदन, सिंदूर, पंचामृत, दूध, मेवे, खील, बताशे, जनेऊ, श्वेत वस्त्र, इत्र, चौकी, कलश, कमल गट्टे की माला, शंख, आसन, थाली. चांदी का सिक्का, चंदन, बैठने के लिए आसन, हवन कुंड, हवन सामग्री, आम के पत्ते, प्रसाद इत्यादि .
छोटी दिवाली:
नरक चतुर्दशी यानी छोटी दिवाली, मुख्य त्यौहार से एक दिन पहले मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने की चतुर्दशी तिथि पर छोटी दिवाली मनाई जाती है।
इस दिन को नरक चौदस या रूप चौदस भी कहा जाता है। यह त्यौहार 14 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन अभयदान (दीवाली स्नान अनुष्ठान) का शुभ समय सुबह 5:23 से शुरू होकर 6:43 बजे तक का है।
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
14 नवंबर को 1 बजकर 16 मिनट तक चतुर्दशी रहेगी और फिर अमावस्या लागू हो जाएगी. यही कारण है कि 14 नवंबर को ही लक्ष्मी पूजन किया जाएगा.
शाम के 5 बजकर 40 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 15 मिनट का मुहूर्त सबसे ऊत्तम माना गया है. इस शुभ मुहूर्त के समय लक्ष्मी और गणेश पूजा की जा सकती है.
लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त सायं काल से प्रारंभ हो जाता है. लकड़ी की नई चौकी, सिंहासन पर लाल रंग का नया वस्त्र बिछाकर श्री लक्ष्मी श्री गणेश की मूर्ति रखनी चाहिए. इसके बाद श्री लक्ष्मी, श्री गणेश जी के दाहिनी ओर होनी चाहिए.
श्री लक्ष्मी जी और गणेश जी की मूर्तियों के सामने चावल के दानों के ऊपर कलश में जल भरकर अक्षत, दूर्वा, सुपारी, रत्न व चांदी का सिक्का रखना होगा. फिर कलश पर सिंदूर या रोली से स्वास्तिक बनाना चाहिए.
कलश के ऊपर चावल से भरा हुआ पात्र रखकर उसके ऊपर नारियल को लाल वस्त्र से लपेटे हुए नारियल के ऊपर या 11 बार लपेट कर रखना चाहिए. इसके पश्चात चावल, धूप, पुष्प, अर्पित करने के पश्चात अखंड दीप प्रज्वलित करके पूजन करें.
दीपावली पूजन की शुरुआत घर के प्रमुख को ही करनी चाहिए. परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ बैठकर पूजा में भाग लेना चाहिए.
क्या है मान्यताएं
दिवाली के दिन भगवान श्रीराम राम 14 वर्ष बाद लंका पर विजय पाकर अयोध्या लौटे थे. इस दिन अयोध्या वासियों ने श्रीराम के वापस आने की खुशी में पूरी अयोध्या नगरी को दीपों से सजाया गया था. इस शुभ दिन के अवसर पर हर साल दिवाली मनाई जाती है.
दिवाली की शुरुआत धनतेरस के दिन से शुरू होता है. धनतेरस के अगले दिन छोटी दिवाली मनाई जाती है और अमवस्या के दिन बड़ी दिवाली मनाई जाती है.
लेकिन इस बार दोनों दिवाली एक ही दिन पड़ रही है, यानी छोटी दिवाली और लक्ष्मी पूजन एक ही दिन पड़ रहा है.
आइए जानते हैं धनतेरस से भाई दूज तक के शुभ मुहूर्त-
धनतेरस:
धनवंतरी को दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है। यह त्यौहार इस वर्ष 13 नवंबर को मनाया जाएगा। धनतेरस का मुहूर्त शाम 5 बजकर 34 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 1 मिनट तक है।
इस दिन प्रदोष काल शाम 5 बजकर 28 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 7 मिनट तक है। वृषभ काल मुहूर्त शाम 5 बजकर 34 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 29 मिनट तक है।
गोवर्धन पूजा
गोवर्धन पूजा अमावस्या को की जाती है। इस वर्ष गोवर्धन पूजा 15 नवंबर को की जाएगी। इस दिन भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर भगवान इंद्र को हराया था।
हिंदू धर्म में गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व है। गोवर्धन पूजा का सायंकाल मुहूर्त दोपहर 3 बजकर 18 मिनट से लेकर 15:18:37 से शाम 5 बजकर 27 मिनट तक है।
भाई दूज:
भाई दूज या भैया दूज को भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया आदि भी कहा जाता है। इसे कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है।
इस पर्व के शुभ मुहूर्त की बात करें तो भाई दूज के तिलक का समय दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 18 मिनट तक रहेगा।
नोट
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