इस साल ये पर्व 2 नवंबर 2021 को मनाया जाएगा. वहीं पांच दिवसीय दीपोत्सव की शुरूआत भी धनतेरस से ही होती है. पौराणिक कथा के अनुसार इसी दिन समुद्र मंथन से धन्वंतरि हाथों में अमृत से भरा कलश लेकर प्रकट हुए थे. इसलिए धनतेरस के दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है.
Dhanteras - 2021 |
धनतेरस तिथि व पूजन शुभ मुहूर्त
दिवाली से दो दिन पहले कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस (Dhanteras) का पर्व मनाया जाता है. इसे धन त्रयोदशी या धनवंतरी जयंती भी कहा जाता है. धनतेरस पर मां लक्ष्मी, भगवान धनवंतरी और धन कुबेर की उपासना करने से घर में धन के भंडार कभी खाली नहीं होते हैं. धनतेरस इस साल 02 नबंवर 2021 मंगलवार को है. इस त्योहार को धन और समृद्धि का कारक माना जाता है.
पांच दिवसीय दीपोत्सव की शुरुआत
धनतेरस से ही पांच दिवसीय दीपोत्सव की शुरुआत होती है. धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी की पूजा की जाती है. पौराणिक कथा के अनुसार, इसी दिन समुद्र मंथन से धनवंतरी हाथों में अमृत से भरा कलश लेकर प्रकट हुए थे. इसलिए धनतेरस के दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है.
इसके साथ ही कोई भी नई चीज घर में लाना शुभ माना जाता है. इस दिन नये वाहनों की भी जमकर खरीदारी होती है. साथ ही धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर की विधि-विधान से पूजा की जाती है. साथ ही शाम के वक्त परिवार की मंगलकामना के लिए यम नाम का दीपक भी जलाया जाता है.
धनतेरस तिथि व शुभ मुहूर्त
धनतेरस इस साल 2 नवंबर 2021 दिन मंगलवार को है. ज्योतिषाचार्य ने बताया कि 2 नवंबर को प्रदोष काल शाम 5 बजकर 37 मिनट से रात 8 बजकर 11 मिनट तक का है. वहीं वृषभ काल शाम 6.18 मिनट से रात 8.14 मिनट तक रहेगा. धनतेरस पर पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 6.18 मिनट से रात 8.11 मिनट तक रहेगा.
पांच दिवसीय दीपोत्सव की शुरुआत
धनतेरस से ही पांच दिवसीय दीपोत्सव की शुरुआत होती है. धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी की पूजा की जाती है. पौराणिक कथा के अनुसार, इसी दिन समुद्र मंथन से धनवंतरी हाथों में अमृत से भरा कलश लेकर प्रकट हुए थे.
इसलिए धनतेरस के दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है. इसके साथ ही कोई भी नई चीज घर में लाना शुभ माना जाता है. इस दिन नये वाहनों की भी जमकर खरीदारी होती है. साथ ही धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर की विधि-विधान से पूजा की जाती है. साथ ही शाम के वक्त परिवार की मंगलकामना के लिए यम नाम का दीपक भी जलाया जाता है.
पूजन विधि
धनतेरस पर शाम के वक्त उत्तर की ओर कुबेर और धनवंतरी की स्थापना करनी चाहिए. दोनों के सामने एक-एक मुख का घी का दीपक जरूर जलाना चाहिए. भगवान कुबेर को सफेद मिठाई और धनवंतरी को पीली मिठाई को भोग लगाया जाता है. पूजा के दौरान "ॐ ह्रीं कुबेराय नमः" का जाप करें. इसके बाद "धनवंतरि स्तोत्र" का पाठ करें. पूजा के बाद दीपावली पर कुबेर को धन स्थान पर और धनवंतरी को पूजा स्थान पर स्थापित करें.
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